Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय तनाव

इतना तनाव क्यूं दिया महबूब मेरे तुम,
ख़ोज ख़बर ली नहीं हमारी क्यों? 
बोलिये याद हर बिसारी क्यों?

फ़ूल अब तक नहीं बनाया है, 
रही कली आज तक कुंवारी क्यों? 

मांग ढूँढें सितारें हैं मेरी
मैं नहीं तुझे लगूँ दुलारी क्यों?

गैर को दी जगह, मुझे मिलने
आप नहीं रात भर पधारी  क्यों?

प्यार दे बेहिसाब तुम हर दिन
आज बनते नहीं मुरारी क्यों? 

प्यार सरिता दूं अनोखा मैं
आपने बात यह उभारी क्यों।

सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर 

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5 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Alka jain

31-Jul-2023 12:39 AM

Nice

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Varsha_Upadhyay

30-Jul-2023 11:02 PM

बहुत खूब

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